Impact of Korona pandemic at global phase in 2020 कोरोना के प्रभाव 2020 में : नेगेटिव और पॉजिटिव विचार
कोरोना के प्रभाव 2020 में : नेगेटिव और पॉजिटिव विचार।
Impact of Korona pandemic at global phase in 2020
कोरोना के प्रभाव 2020 में : नेगेटिव और पॉजिटिव विचार पर आज हम सब जरा विचार करें -
कोरोना के प्रभाव के कारण आज दुनिया की 7.8 बिलियन आबादी में से एक तिहाई से अधिक आबादी अपने घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। यह दुख की बात है कि विश्व अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। हवाई अड्डे, आलीशान होटल, बड़ी-बड़ी व्यापारिक संस्थाएं, शिक्षण संस्थाएं बंद पड़ी है। 39 देशों के सामूहिक निर्णय से लाॅक डाउन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी बढ़ी है। कई लोगों के रोजगार छीन गए हैं। वैश्विक मंदी के दौर से विश्व गुजर रहा है। गत वर्ष वैश्विक विकास 2.9 प्रतिशत था, जो अब 2020 में 2 प्रतिशत से भी नीचे जाने की संभावना बताई जा रही है। कोरोना के प्रभाव के कारण भारत को 348 मिलियन डाॅलर के व्यापारिक घाटे का अनुमान बताया जा रहा है। विश्व भर में 25 मिलियन रोजगारों पर आघात पहुंचने की संभावना है। वेतन भुगतान नहीं हो रहा है। कोरोना का प्रभाव है कि देश को भविष्य के कर्णधार देनेवाले शिक्षकों को आज दो वक्त का भोजन भी मुश्किल हो गया है। बड़ी-बड़ी सरकारी योजनाएं बन रही है, किंतु धरातल पर भी दिखे, तभी सफलता मिलेगी। कोरोना के प्रभाव की मार अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामाजिकता पर भी पड़ी है। ये तो है कोरोना वायरस की मार का असर।
कोरोना के प्रभाव के दूसरे पक्ष को भी देखें। किसी भी बुरी स्थिति का सामाना करने और उसे सकारात्मक बनाने का हौसला होना चाहिए। मानव जो इस धरती पर ईश्वर का अंश माना जाता है तो वह हर स्थिति का सामाना साहस पूर्वक कर ही सकता है। जहां तक अर्थव्यवस्था की बात है तो इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास करने के साथ-साथ स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना बेहतर है। चीन पर निर्भरता छोड़ना होगा। चीन की सिंथेटिक वस्तुएं, प्लास्टिक के यंत्र, इलेक्ट्रिक व इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं जो काफी सस्ती होने के कारण विश्व बाजार में फैली हुई है, इसकी निर्भरता को तोड़ना होगा। अपने देश में निर्मित वस्तुओं का व्यवहार न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी आवश्यक हो गया है।
भीड़-भाड़ का इलाका, शोर-गुल, धूल-गर्द से लदी सड़कें, फैक्ट्रियों से निकलते काले-काले धुएं, चारों ओर फैली हुई गंदगी, नालियों से आती बदबू, नदियों का प्रदुषण, पेड़-पौधेविहीन सूखा स्थल-क्या ये सब पहले से नहीं थे। हरी-भरी धरती और फलों-फूलों से लदे वृक्ष, लहलहाते खेत, चहचहाते पक्षी इन सबको देखकर जो आनंद और खुशी मिलती है, वह पैसों के ढेर पर बैठकर नहीं। आज अवश्य ही महसूस किया जा रहा है कि प्रकृति को पुनर्जीवित किया जाए और इसकी सुरक्षा की जाए तभी मानव की सुरक्षा संभव है। आज कोरोना के प्रभाव के कारण ही सही इसकी ओर लोगों का ध्यान गया है।
कोरोना के प्रभाव के कारण गड़बड़ आर्थिक स्थिति स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए अपने स्थानीय स्तर से लेकर देश और विश्वस्तर तक भी एक कोष का निर्माण किया जाए और अर्थव्यवस्था का संयोजन और समायोजन समानता के आधार पर किया जाए। शिक्षण व्यवस्था के लिए आॅनलाइन तथा दूरसंचार की व्यवस्था है ही। और शिक्षण संस्था या बिल्डिंग बंद हुए हैं शिक्षण कार्य अभी भी अनवरत जारी है। PDF फाइल और VIDEO की व्यवस्था ने शिक्षण को और भी सरल बना दिया है। अपनी सोच और सिद्धांत को बदलें कोरोना के प्रभाव से मुक्त होकर पाॅजीटीव सोचें और हर स्थिति का सामना सफलतापूर्वक करें और प्रसन्न रहें।
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